वह कैसे कहेगी – हाँ! हाँ कहेंगे उसके अनुरक्त नेत्र उसके उदग्र-उत्सुक कुचाग्र उसकी देह की चकित धूप उसके आर्द्र अधर कहेंगे – हाँ वह कैसे कहेगी – हाँ?
हिंदी समय में अशोक वाजपेयी की रचनाएँ
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कविताएँ